पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी कहे जाने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी एके शर्मा का नाम यूपी की सियासत में एक बार फिर से चर्चा में है। करीब एक साल पहले उन्हें लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि प्रदेश सरकार में डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी उनको दी जा सकती है। हालांकि तब ऐसा कुछ नहीं हुआ और वह विधान परिषद के सदस्य ही बनकर रह गए। अब योगी आदित्यनाथ सीएम के तौर पर दूसरी बार 25 मार्च को शपथ लेने वाले हैं और इस बीच उनकी सरकार में एके शर्मा के डिप्टी सीएम बनने की चर्चाएं फिर से जोर पकड़ रही हैं। भाजपा के सूत्रों ने भी इस बात के संकेत दिए हैं कि शीर्ष नेतृत्व इस पर विचार कर रहा है।
रविवार शाम को पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक मीटिंग भी हुई थी, जिसमें गोवा, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में सरकार गठन को लेकर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में पार्टी लीडरशिप ने बताया कि उसने राज्य के नेताओं से बात करके क्या फैसले लिए हैं। इस मीटिंग में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा होम मिनिस्टर अमित शाह और डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक जल्दी ही इन राज्यों में जाने वाले हैं। चार राज्यों में बड़ी जीत हासिल करने के बाद पार्टी की कोशिश यह है कि राज्यों के नेताओं को साधा जाए और किसी भी तरह की गुटबाजी को रोका जा सके।
हालांकि सबसे अहम मसला उत्तर प्रदेश का ही है, जहां योगी आदित्यनाथ की शपथ की तारीख तय हो चुकी है। लेकिन अब भी उनकी सरकार में कौन डिप्टी सीएम होगा और किसे कैबिनेट में जगह मिलेगी, यह तय नहीं हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी समेत कई राष्ट्रीय नेताओं से सीएम योगी कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। इसके बाद भी कोई फाइनल लिस्ट सामने नहीं आई है। सबसे अहम सवाल पार्टी के ओबीसी चेहरे केशव प्रसाद मौर्य के भविष्य को लेकर है। योगी सरकार में डिप्टी सीएम रहे केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से विधानसभा चुनाव हार गए हैं और अब उनके भविष्य को लेकर कयासों का दौर जारी है।
कहा जा रहा है कि या तो उन्हें डिप्टी सीएम ही बनाए रखा जाएगा या फिर संगठन में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि उनके स्थान पर एके शर्मा के नाम की चर्चा भी जोरों पर चल रही है। उत्तर प्रदेश में होम मिनिस्टर अमित शाह और झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास को यूपी का पर्यवेक्षक बनाया गया है। गौरतलब है कि भाजपा ने यूपी में दूसरी बार जीत हासिल करके कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। 35 सालों के बाद यह पहला मौका है, जब किसी सरकार की यूपी में वापसी हुई है। भाजपा को अकेले 255 सीटें मिली हैं, जबकि उसके सहयोगी दल भी 18 सीटें जीत गए।