कहीं होटल मालिक को प्रश्रय तो नहीं दे रहे जिले के पुलिस कप्तान...?

कहीं होटल मालिक को प्रश्रय तो नहीं दे रहे जिले के पुलिस कप्तान...?

अंबेडकरनगर।  आखिर पुलिस पर ही आरोप प्रत्यारोप क्यों लग रहे हैं,आखिर इतने घिनौने कृत्य में पुलिस संलिप्त क्यों थी, होटल संचालक के प्रति पुलिस इतना वफादार क्यों थी ? यह तो हो गए चर्चा में चल रहे प्रश्न जिसका उत्तर पुलिस देने में शर्मा रही है। बुजुर्गों से सभी ने सुना है कि कानून के हाथ बड़े लंबे होते हैं लेकिन इसके रखवाले ही लंबे हाथ काटकर बख्तावर होटल में लगभग एक साल से देह व्यापार को बढ़ावा दिया जा रहा था।आठ माह पहले अयोध्या समाचार ने सच्चाई भी सामने लाया था लेकिन पुलिस कप्तान की कृपा बरस गई और कोई कार्यवाही नही हो पाई थी। लेन देन जो भी रहा हो लेकिन देह व्यापार जैसे घिनौने कार्य का संचालन करवाना उचित नही था।

 पुलिस के इस कार्यप्रणाली से समाज का बेड़ा गर्ग हो रहा है तथा युवा एड्स जैसे बीमारी से ग्रसित हो सकते थे। बुधवार को बख्तावर होटल में एसडीएम सदर ने छापेमारी की कार्यवाही किया जिसके बाद एक वीडियो वायरल हुआ और वीडियो को वायरल करके मामले से ध्यान भटकाने का प्रयास किया गया। वीडियो के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया कि सिपाही ने इस मामले में पकड़े गए किसी आरोपी को छोड़ने को लेकर पैसा लिया जिसके आधार पर खबर प्रकाशित किया गया तब पुलिस कप्तान ने संबंधित सिपाही को बलि का बकरा बनाते हुए पुलिस लाइन भेज दिया। लेकिन होटल के संचालन में शामिल पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही करने में हाकिम के हाथ पांव फूल रहे हैं। अब तो चर्चा यह भी आम हो चुकी है कि सब मामला ऊपर तक सेट था।

 चर्चा हो भी क्यों न जब कार्यवाही शून्य ही है। हाकिम के पास सभी तंत्र है जिससे संलिप्त पुलिस कर्मियों के राज खुल सकते हैं लेकिन तंत्रों का प्रयोग करने में हाकिम को खुद की बेइज्जती का डर सता रहा है। सूत्र बताते हैं कि होटल पर कार्यवाही के बाद भी एक पुलिस कर्मी और होटल संचालक सुनील वर्मा की फ़ोन पर वार्ता हुई है। जब उस वीडियो पर पुलिस कप्तान कार्यवाही कर सकते हैं जिस वीडियो में सिर्फ संदेह किया जा सकता है जिसकी कोई पुष्टि नही हो सकी तो इतने बड़े फसाद को जड़ पुलिस कर्मी पर कार्यवाही क्यों नही हो रही है जो पूरे मामले में मठाधीश का कार्य कर है था।

 ज्ञात हो कि जिस मामले में पुलिस कप्तान ने एक सिपाही को लाईन हाजिर किया है उन सभी लोगों के खिलाफ मुकदमा भी पंजीकृत हुआ तो किस आधार पर लाईन हाजिर की कार्यवाही की गई यह एक बड़ा सवाल पुलिस कप्तान की कार्यप्रणाली पर है। सुनील ने अकबरपुर कोतवाली के एक सिपाही को कार्यवाही के तीसरे दिन फ़ोन कर आरोपी पिंटू तिवारी को छोड़ने हेतु वार्ता की थी जिसको पुलिस ने थाने में दो दिन तक बैठाए रखा था। हालांकि सुनील के वार्ता के बाद उसके विरुद्ध 151 की कार्यवाही की गई और छोड़ा गया। एक सवाल और अगर इतनी ही लायक पुलिस होती तो एसडीएम उन्हें बाद में सूचना क्यों देते।

Post a Comment

और नया पुराने