लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी बेहतर प्रदर्शन के लिए ओबीसी और एसटी वोटर को एकजुट करना चाहती है। लोहियावादी और अंबेडकरवादी की यूनिटी से 2024 का रास्ता आसान करने का संदेश अखिलेश यादव दे चुके हैं। लखनऊ के रमाबाई मैदान से अखिलेश कह चुके हैं कि सत्ता हासिल करने के लिए पिछड़ो और दलितों की मजबूत भागीदारी जरूरी है।
ये बात सच भी है क्योंकि 1993 में मुलायम सिंह यादव ने काशीराम से गठजोड़ कर राम लहर के बावजूद भाजपा से सत्ता छीन ली थी। अब अखिलेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद एसटी-ओबीसी और मुस्लिम वोटर्स को लुभाने पर फोकस रहेगा।
यूपी में निकाय चुनाव करीब है। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश का पहला टेस्ट निकाय चुनाव होंगे। जबकि फाइनल मैच 2024 में खेला जाएगा। मुस्लिम वोटर्स को जोड़ने के मकसद से अधिवेशन के दौरान सपा नेता मौलाना इकबाल कादरी ने कहा कि मदरसों से मौलाना ही नहीं बनते। मदरसों में पढ़ने वाले तमाम लोगों को दूसरों के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है। सपा ने ये तय किया है कि निकाय चुनाव में संगठन में दलित और मुसलमानों को तवज्जो दी जाएगी।
अखिलेश ने बहुजन समाज का जिक्र करते हुए कहा कि त्याग करके समझौता किया, ताकि करोड़ों दलित एक मंच पर आ सके। इतना ही नहीं अखिलेश ने भाजपा सरकार पर सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में देने की साजिश का आरोप लगाते हुए संदेश दिया कि संविधान में 'बहुजन समाज' दलित को नौकरी में मिले आरक्षण को छीनने की कोशिश हो रही है।
सपा के राज्य और राष्ट्रीय सम्मेलन में बसपा एक का भी कद्दावर नेताओं में शुमार रहे राम अचल राजभर, आर के चौधरी, इंद्रजीत सरोज को खासा महत्व देकर भी पार्टी ने संदेश दिया कि यहां सब का सम्मान है। इंद्रजीत सरोज ने कहा था कि इलाहाबाद मंडल की 28 में से 15 विधानसभा सीटें सपा जीती है संदेश देने को काफी है कि यह ताकत पिछड़ों के साथ दलितों की एकजुटता से ही संभव हो सका है। पार्टी के मंच से राज्य में दलितों की राजनीति करने वाली पार्टी बसपा के कमजोर होने की तरफ इशारा करके भी दलितों को सपा से जुड़ने का आवाहन किया गया।
सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तीसरी बार पार्टी की कमान संभालते ही 2024 की जंग के लिए संघर्ष का बिगुल फूंकते हुए समाजवादियों का आह्वान किया कि वह अन्याय अत्याचार के खिलाफ जेल भरने को तैयार रहें। उन्होंने कहा कि आज दलित पिछड़ों पर अत्याचार अन्याय बड़ा है समाजवादी पैदल चलने और ना साइकिल चलाने से घबराते हैं। यदि अत्याचारी हुकूमत के खिलाफ जेल भरना पड़ा तो तैयार रहें। आजम खान पर हो रहे अन्याय रुक नहीं रहे हैं। राजनीतिक इतिहास में कम लोग होंगे कि जिन पर इतनी झूठे मुकदमे लगाए गए होंगे। अधिकारियों की यह कहकर भेजा या गया कि तरक्की और अच्छी तैनाती मिलेगी जब वह अन्याय करेंगे।