बाहुबली धनंजय सिंह की चुनावी धमकी, क्या बिगाड़ सकेंगे BJP के मिशन 80 का खेल?

बाहुबली धनंजय सिंह की चुनावी धमकी, क्या बिगाड़ सकेंगे BJP के मिशन 80 का खेल?

भाजपा ने अपनी पहली सूची शनिवार को घोषित की। इसके कुछ ही देर बाद जौनपुर के पूर्व बाहुबली सांसद धनंजय सिंह ने एक पोस्ट कर दिया, जिसके कारण जौनपुर से लेकर दिल्ली तक खलबली मच गई।




भाजपा ने दो मार्च को जारी लोकसभा चुनावों की पहली सूची में 195 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इसमें यूपी की जौनपुर लोकसभा सीट भी शामिल है, जहां से पार्टी ने कांग्रेस के पूर्व नेता कृपाशंकर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने यह सोचते हुए कृपाशंकर सिंह पर दांव लगाया है कि धनबल से संपन्न यह नेता जौनपुर की सीट जीतकर उसकी झोली में डाल सकेगा जो फिलहाल बहुजन समाज पार्टी के हाथ में है। मिशन 80 को सफल बनाने के लिए जौनपुर सीट पर जीत हासिल करना उसके लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है, लेकिन इस सीट पर भाजपा को कभी जीत तो कभी हार मिलती रही है। ऐसे में कृपाशंकर सिंह पर एक महत्त्वपूर्ण सीट पर जीत हासिल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।


भाजपा ने अपनी पहली सूची शनिवार शाम लगभग साढ़े छह बजे घोषित की। इसके कुछ ही देर बाद जौनपुर के पूर्व बाहुबली सांसद धनंजय सिंह ने अपने ट्विटर (अब एक्स) हैंडल पर एक पोस्ट कर दिया, जिसके कारण जौनपुर से लेकर दिल्ली तक खलबली मच गई। उन्होंने अपनी पोस्ट में 'साथियों, तैयार रहिये, लक्ष्य बस एक लोकसभा 73- जौनपुर' लिखा है। अपनी फोटो के साथ 'जीतेगा जौनपुर, जीतेंगे हम' लिखे हुए उनकी इस पोस्ट को लोकसभा चुनाव में उतरने की उनकी योजना की घोषणा के तौर पर देखा जा रहा है।


दरअसल, धनंजय सिंह स्वयं भाजपा से चुनाव लड़ने की कोशिश करते रहे हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी उन्होंने भाजपा का टिकट पाने का प्रयास किया था। 2024 में भी उन्होंने भाजपा के कई शीर्ष नेताओं से संपर्क कर जुगाड़ भिड़ाने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी आपराधिक और विवादित पृष्ठभूमि के कारण भाजपा उन्हें अपना उम्मीदवार बनाने से बचती रही है। माना जा रहा है कि इस बार अंतिम क्षणों तक उन्हें भरोसा था कि भाजपा उन्हें अपना उम्मीदवार बना सकती है।


लेकिन जब अंतिम सूची में कृपाशंकर सिंह का नाम आ गया तो उन्होंने स्वयं चुनाव में उतरने की घोषणा कर दी। इसे सीधे तौर पर उनकी कृपाशंकर सिंह और भाजपा को दी गई चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, अभी तक उन्होंने यह नहीं बताया है कि वे किसी राजनीतिक दल से चुनाव मैदान में उतरेंगे, या निर्दलीय के रूप में अपनी किस्मत आजमाएंगे।


राजनीतिक समीकरणों के कारण पिछले कई चुनावों में भाजपा जौनपुर से ठाकुर समुदाय के उम्मीदवार ही उतार रही है। 2014 में भाजपा उम्मीदवार केपी सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी, लेकिन 2019 के चुनाव में उन्हें बसपा के श्याम सिंह यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा। जातीय समीकरणों में फिट बैठने के कारण ही मुंबई में राजनीति करने वाले कृपाशंकर सिंह को उनकी जन्मभूमि जौनपुर लाकर यहां उम्मीदवार बनाया गया है। लेकिन यदि धनंजय सिंह चुनाव में उतरते हैें तो इसका भाजपा की चुनावी रणनीति पर सीधा असर पड़ सकता है।


भाजपा उम्मीदवार कृपाशंकर सिंह और धनंजय सिंह दोनों ही ठाकुर समुदाय से हैं। ऐसे में यदि धनंजय सिंह चुनाव में उतरते हैें तो ठाकुर समुदाय के वोटों में बंटवारा हो सकता है। इसका लाभ सपा-बसपा चाहे जिसे मिले, नुकसान भाजपा का होगा। सवर्ण राजपूत समुदाय यूपी में भाजपा के कट्टर समर्थकों में माना जाता है।


दरअसल, धनंजय सिंह 2009 में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जौनपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल कर चुके हैं। अपने गृह क्षेत्र मल्हनी और आसपास के ठाकुर मतदाताओं के बीच उनकी अच्छी खासी पकड़ है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भी इसी जौनपुर की रारी विधानसभा सीट से जीत हासिल कर चुके हैं। ऐसे में यदि वे चुनाव में उतरते हैं तो जौनपुर के सियासी समीकरण प्रभावित हो सकते हैं।

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