चालू सियासत में झूठ के मजे

चालू सियासत में झूठ के मजे

 - रामविलास जांगिड़





सच सुनने का मजा तब आता है, जब यह पहले से पता हो कि यह झूठ ही होगा। अगला उस झूठ को सच कहकर लफ्फाजी कर रहा होता है, तब तो आनंद ही आ जाता है। चालू रोकड़ा राजनीति में इसी तरह के मजे हो रहे हैं। आम मतदाता खिलखिला कर हंस रहा है। बल्कि पेट पकड़ कर, टांगे फेंक कर श्रृंखलाबद्ध हंसता ही जा रहा है। सियासी पार्टियों ने हंसने-हंसाने की सारी व्यवस्था कर रखी है। इधर हंसने का नया ट्रेंड आया है। पहले लोग बुक्के फाड़ कर रोते थे, अब बुक्के फाड़ कर हंस रहे हैं। हंसते-हंसते ही फंस रहे हैं। जमीन में धंस रहे हैं। सबको पता है कि ये झूठ है। चुनावी सभा का मतलब ही होता है झूठ का महासमंदर!


वही एक गीत गा रहा है। गरीबी को हटा देंगे। सड़कें चोड़ी-चपाट बना देंगे। हर घर में पानी के बंबे ला देंगे। चौबीसों घंटे बिजली आपके हाथों में थमा देंगे। हर व्यक्ति को रोजगार दे देंगे। सबको सरकारी नौकरियां। सबको सरकारी आरक्षण। क्या मजेदार झूठ उछल रहे हैं। सुनने में बहुत बड़ा मजा आ रहा है। एकदम झूठ का पूरा बाजार सजा हुआ है। सच तो यह है कि सच कुछ भी नहीं है और झूठ तो यह है कि पूरी दुनिया में झूठ ही झूठ है। झूठे ने झूठे से कहा आओ मिलकर के सच बोलते हैं। सच की मंडी में झूठ का बिजनेस खोलते हैं।


शेर और खरगोश ने मिलकर सच की मंडी में झूठ का व्यापार खोला। चुनाव काल में दलदल पार्टी का एक शेर, रबड़-दल के आलाकमान खरगोश से मिला। सियासती खरगोश ने शेर से कहा, "मैं तुमसे तेज़ और दक्ष हूं, मैं इतना तेज़ हूं कि अगर मैं चाहूं तो उछलकर सूरज को मुंह में खा जाऊं। चाहो तो वोट करा लो।" शेर ने खरगोश की बातों पर विचार कर कहा, "ठीक है, हम दोनों उछलते हैं। लेकिन एक शर्त पर।" "शर्त क्या है?" खरगोश ने पूछा। "तुम्हें मुझसे पहले अपना चुनावी संकल्प पत्र दिखाना होगा। चुनावी घोषणा पत्र हवा में लहराना पड़ेगा," शेर ने कहा। खरगोश ने तुरंत ही जंगल के पचास सबसे खूंखार गधे मंगवाए। उन गधों के दाएं-बाएं, ऊपर-नीचे सभी तरह के चुनावी वादे पत्र, चुनावी संकल्प पत्र, चुनावी घोषणा पत्र आदि लदे हुए थे। इन वादे घोषणा पत्रों ने खरगोश के तुरंत ही पंख लगा दिए और वह सूरज की ओर हवा में उड़ने लगा। कहानी खतम पैसा हजम!


गजब के सीन दिखाई दे रहे हैं। शेर ने पानी की प्याऊ खोली है। वह बकरी के लिए माइक में चीख रहा है- "बकरी मैया! आ जाओ। ठंडा पानी पी जाओ। एसी का ठंडा पानी! यह है बढ़िया वाला झूठ! सच कह कर उछल कूद मचा रहा है। नेवले ने सांप को भी यही कहा- "आजा मेरे भैया मिलकर अपन इस चूहे को पकड़ते हैं।" सांप और नेवला आपस में मिल गए हैं। दोनों का ग-ठगबंधन हो गया है। कह रहे हैं कि सामने जो चूहा दिखाई दे रहा है, उसको हम पकड़ के खा जाएंगे। इसलिए हे सांप भाई! मेरे पास आ जाओ। सांप के अंदर गुदगुदी सी मच रही है। कुछ डर सा लग रहा है, लेकिन वह नेवले से पूंछ मिलाने को आतुर है। सांप और नेवले का महाठगबंधन कह रहा है- "आपस में कभी नहीं लड़ेंगे। हम मिलकर रहेंगे। हम देश के चूहों को बाहर भगा देंगे। देश को चूहों से आज़ादी दिलाएंगे।" मजेदार झूठ चल रहा है। कुर्सी का सपना पल रहा है। हंसी के मारे पेट में बल पड़ रहा है।



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