कटेहरी की सियासी धारा: भाजपा के संभावित उम्मीदवार की चर्चा गर्म

कटेहरी की सियासी धारा: भाजपा के संभावित उम्मीदवार की चर्चा गर्म

- सत्यम सिंह (7081932004)





अम्बेडकरनगर। कटेहरी विधानसभा उपचुनाव की घोषणा होते ही जिले में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भाजपा के संभावित उम्मीदवार को लेकर हर तरफ कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि पार्टी इस सीट पर चौंकाने वाला निर्णय ले सकती है और प्रदेश सरकार के एक कद्दावर मंत्री को चुनाव मैदान में उतारने की योजना बना रही है। इसके साथ ही, पूर्व सांसद और क्षत्रिय वर्ग के युवा नेता का नाम भी दावेदारी में तेजी से उभर रहा है।


हाल ही में निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव की तारीखों का ऐलान किया है, जिससे जिले में राजनीतिक गतिविधियां एक बार फिर तेज हो गई हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने कटेहरी से जीत हासिल की थी, और अब भाजपा ने इस उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस क्षेत्र में तीन बार दौरा किया है, जो भाजपा की गंभीरता को दर्शाता है। इसके अलावा, प्रदेश सरकार के अन्य मंत्री भी लगातार इलाके में उपस्थित रहकर मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहे हैं।


सपा ने अपने उम्मीदवार के रूप में सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती को मैदान में उतारा है, जबकि बसपा ने अमित वर्मा को चुनावी रण में उतारा है। ऐसे में भाजपा के प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार सभी पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है।



सूत्रों के मुताबिक, भाजपा एक पिछड़े वर्ग के मंत्री को चुनाव लड़ाकर क्षेत्र के मतदाताओं को बड़ा संदेश देना चाहती है। वहीं, पूर्व सांसद रितेश पांडेय का नाम भी चर्चा में है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रह चुके रितेश पांडेय सपा के लालजी वर्मा से पराजित हुए थे। यदि ब्राह्मण कोटे में सीट जाती है, तो पूर्व सांसद का टिकट पाने की संभावना अधिक है।


इसके अलावा, क्षत्रिय वर्ग के युवा नेता अजीत सिंह भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं। उन्होंने क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ाई है और समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, वरिष्ठ भाजपा नेता अवधेश द्विवेदी की भी कटेहरी में मजबूत पकड़ मानी जाती है। वह दो बार इस विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं—पहली बार भाजपा के सिंबल पर और दूसरी बार निषाद पार्टी के सिंबल पर, जो भाजपा के गठबंधन के कारण हुआ था। इस बार फिर से उनके दावे की संभावना जताई जा रही है क्योंकि यह कयास लगाया जा रहा है कि सीट दोबारा निषाद पार्टी के खाते में जा सकती है।


कटेहरी की राजनीतिक परिदृश्य में पूर्व ब्लॉक प्रमुख स्व अनिल सिंह के भाई सुधीर सिंह मिंटू का नाम भी चर्चा में है। उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए अपनी दावेदारी पेश की है, और इस क्रम में वे टिकट के संभावित दावेदारों की कतार में शामिल हो गए हैं।


सुधीर सिंह मिंटू पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं, और उनके अनुभव ने उन्हें स्थानीय राजनीति में एक मजबूत पहचान दी है। उनका परिवार कई वर्षों से भीटी ब्लॉक के राजनीतिक अखाड़े में लंबे समय से सक्रिय है, जिसमें उनकी स्थिति और भी मजबूत रही है।



इसी कड़ी में, पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजय सिपाही भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। अजय सिपाही की राजनीतिक यात्रा कटेहरी से शुरू हुई थी और 2016 में ब्लॉक प्रमुख बनने के बाद उनका कद बढ़ा। उन्होंने अपने भाई की पत्नी शालिनी सिंह को जिला पंचायत सदस्य बनवाकर अपनी राजनीतिक ताकत को साबित किया। अब वे भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं।


भाजपा के खेमे में शामिल पूर्व बसपा विधायक और मंत्री धर्मराज निषाद भी टिकट की दौड़ में हैं। उन्होंने 2022 में अकबरपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर उन्हें कटेहरी से टिकट मिला होता, तो वे जीत सकते थे। अब उनकी दावेदारी कटेहरी से मानी जा रही है।


इसके अलावा, पूर्व जिलाध्यक्ष कपिल देव वर्मा भी अपने समर्थकों के साथ टिकट की दौड़ में जोर-शोर से लगे हुए हैं। सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों की सक्रियता बढ़ी है, और वे कटेहरी विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। कपिल देव वर्मा पूर्व में टांडा विधानसभा से प्रत्याशी रह चुके हैं, और उनकी सक्रियता के चलते वे भी दावेदारों की सूची में शामिल हैं।



कटेहरी सीट पर भाजपा के दावेदारों की लंबी सूची होने के बावजूद, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा जल्द ही निर्णय लिया जा सकता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा अगले दो-तीन दिनों में अपने उम्मीदवार की घोषणा करेगी। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा का यह निर्णय चुनावी समीकरण को बदल सकता है और कटेहरी सीट पर मुकाबला और रोमांचक बना सकता है।


कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के संभावित प्रत्याशी पर निर्णय का इंतजार न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं बल्कि आम मतदाताओं को भी है। भाजपा के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है, और पार्टी का चयन जीत की संभावना को किस हद तक बढ़ा सकता है, यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।

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