मुंगेर। मुंगेर के वरीय पत्रकार, अधिवक्ता और अंग्रेजी भाषा के शिक्षाविद काशी प्रसाद। उम्र- 94। के निधन की खबर के प्रकाशन में बिहार और देश के कुछ मीडिया संस्थानों ने राजनीति कीं। चूंकि काशी प्रसाद ने मुंगेर के कोतवाली थाना कांड संख्या-445।
2011 में नामजद अभियुक्त वे मेसर्स द हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्ज लिमिटेड (नई दिल्ल) की मलकिन शोभना भरतिया और दैनिक हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर के विरूद्ध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष गवाही दीं और नामजद अभियुक्तों के विरूद्ध लगभग दो सौ करोड़ के सरकारी खजाना के लूटने के आरोप को सही ठहराया।
बदले की भावना से प्रेरित होकर हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान ने काशी प्रसाद के निधन की खबर को देश के किसी भी संस्करण में प्रकाशित नहीं किया और उनकी देश और समाज सेवा के अमिट कार्यों की अनदेखी कीं। जब बिहार सरकार के एक मंत्री ने अखबार के संपादकीय विभाग के एक वरिष्ठ से इस संबंध में पूछताछ की,तो उन्हें कहा गया कि दिल्ली मुख्यालय से काशी प्रसाद के निधन की खबर न छापने का फर्मान मिला था।
यू तो दैनिक भाष्कर, दैनिक जागरण, दैनिक प्रभात खबर ने उनके निधन की खबर को बिना तस्वीर के ही प्रकाशित किया । इन अखबारों ने काशी प्रसाद के निधन की खबर पर विभिन्न संगठनों के शोक-संदेशों को भी रद्दी की टोकरी में फेंक दिया। मुंगेर स्थित अखबारों के कार्यालयों के कार्यालय प्रभारी ने भी काशी प्रसाद के परिजनों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने के शिष्टाचार को भी नहीं निभाया। एक विधायक ने इस संबंध में जब पूछताछ कीं, तो उन्हें बताया गया कि अखबार के मालिकों और प्रधान संपादकों का ऐसा निर्देश था।
-श्रीकृष्ण प्रसाद, अधिवक्ता, मुंगेर, बिहार
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