तकनीक विचार बदलने पर मजबूर कर रही
पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि पहले के दौर में पत्रकारिता में व्यक्ति स्वतंत्रत होता था। उसे समाचार पत्र विचारों को छांटने, समझने और चुनने की स्वतंत्रता देते थे। लेकिन आज के दौर में यह प्राय: कम ही देखने को मिलता है। मूल्य आधारित, निष्कलंक, निष्पक्ष और निर्भकता के साथ समाज को दिशा और मार्गदर्शन देने वाली पत्रकारिता की राजेन्द्र शर्मा मशाल हैं। उन्होंने पत्रकारिता में जो आदर्श स्थापित किया है, उसका आज के पत्रकारों को अनुसरण करना चाहिए।
तकनीक से खतरा बढ़ा
श्री जोशी ने कहा आज के समय में पत्रकारिता में तकनीक का बढ़ता प्रभाव खतरा बनता जा रहा है। पहले विचारों के अनुरूप लोग आचरण करने को स्वतंत्र होते थे, लेकिन तकनीक के जरिए ऐसा सजाकर प्रस्तुत किया जा रहा है, जो आम लोगों का विचार बदलने के लिए मजबूर कर रहा है। श्री जोशी ने कहा कि तकनीक ने ऐसा कर दिया हमारी चिंतन शक्ति ही कम होती जा रही है। यह वक्त सोचने का है कि क्या हम आने वाले सालों में ऐसी पत्रकारिता देख पाएंगे, जिस तरह के पत्रकार का आज अभिनंदन कर रहे हैं।
विदेशी ताकतें भी लगीं
श्री जोशी ने कहा कि पत्रकारिता के सामने बड़ा संकट आने वाला है। विदेशी ताकतें भी भारत की पत्रकारिता और सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित कर रही हैं। तकनीक किसी संपादक के हाथ में नहीं है, वह प्रभावी लोगों के हाथ में है। वर्तमान पत्रकारिता पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में संपादक को लिखने की स्वतंत्रता नहीं है। संपादक अस्तित्वहीन होते जा रहे हैं। वर्तमान में जो सरकार, बाजार और प्रभावशाली लोगों की अधीनता स्वीकार करने वाला ही संपादक बन सकता है। या फिर जो पत्रकार स्वयं अखबार निकालकर संपादक बने, वहीं एक निर्भक संपादक रहेगा।
अनासक्त भाव से संपादन किया
त्रिपुरा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि राजेन्द्र शर्मा ने 51 वर्ष की पत्रकारिता में 16 साल ग्वालियर में पत्रकारिता की। इसके बाद 35 साल से भोपाल में हैं। ग्वालियर में 16 सालों में सीखा उसका प्रस्फुटन अब तक कायम है। उन्होंने अनासक्त भाव से यानि नि:स्वार्थ भाव से कार्य किया है। इस तरह के महान व्यक्ति किसी के पीछे नहीं चलते, बल्कि लोग उनके पीछे चलते हैं।
मिशन के लिए समर्पित हैं: तोमर
केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि मैं बचपन से ही स्वदेश पढ़ता रहा। छात्र जीवन से लेकर राजनीति में आने तक स्वदेश का लेखन पढ़ता रहा हूं। श्री शर्मा ऐसे पत्रकार हैं जो पत्रकारिता को आज भी मिशन मानते हैं। उसी मिशन के लिए समर्पित हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी स्वदेश का प्रकाशन हुआ। श्री शर्मा के लेखन, चिंतन-विचार में तृटि निकालना संभव नहीं।
कलम गिरबी नहीं रखी : गौर
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा कि राजेन्द्र शर्मा स्वदेश के सारथी हैं। उन्होंने बिना स्वार्थ के अपना दायित्व बड़ी पारदर्शी तरीके से निभा रहे हैं। उन्होंने स्वार्थों के लिए कभी कलम को बिरबी नहीं रखा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार कैलाशचंद्र पंत ने कहा कि यह किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि कृतित्व का अभिनंदन है। उनके हर शब्द में ईमानदारी है। उन्होंने समाज में समरसता की कोशिश की है।
-Swadesh Bhopal
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