अम्बेडकरनगर। अकबरपुर नगर पालिका परिषद क्षेत्र अंतर्गत लोरपुर ताजन में अंजुमन जाफरिया रजिस्टर्ड के तत्वाधान व मोमनीने की तरफ से लब्बैक या हुसैन की सदाओ के बीच रविवार को कर्बला रौजए हजरत इमाम हुसैन से अलम ताबूत झूले व दुलदुल का जुलूस निकाला गया। इस दौरान स्थानीय एवं बाहरी अंजुमनो के सदस्यों ने नोहा खानी व सीनाजनी की। उलमा-ए-कराम ने कर्बला के शहीदों पर प्रकाश डालकर माहौल को गमगीन बना दिया। सभी अंजुमनो के नये अंदाज से माहौल भावुक हो उठा। अलम ताबूत झूले व दुलदुल की जियारत करने के लिए लोग बड़ी संख्या में शामिल हुये। जुलूस का संचालन इरशाद लोरपुरी ने किया।
अंजुमन के सचिव नजमुल हसन ने बताया कि जुलूस में अंजुमन शमशीरे हैदरी जलालपुर, अंजुमन हुसैनिया रजिस्टर्ड हुसैनाबाद लोरपुर, अंजुमन गुलशने इस्लाम मित्तूपुर आजमगढ़, अंजुमन बरके हैदरी सिझौली, अंजुमन जाफरिया रजिस्टर्ड पेवाडा, अंजुमन इमामिया करीमपुर जलालपुर, अंजुमन मासूमिया रजिस्टर्ड लोरपुर अंजुमन दस्ते सिपाहे मेहंदी शिवली आजमगढ़, अंजुमन अब्बासिया पीरपुर के सदस्यों ने नौहा ख्वानी व सीनाजनी की!
जुलूस की पहली तकरीर को संबोधित करते हुए शिया धर्मगुरु मौलाना सैय्द शारिब अब्बास सिझौली ने कहा कि इंसानियत ही सबसे बड़ा मजहब है अगर इंसानियत नहीं है तो वह आदमी जानवर की तरह है। इस्लाम में इंसानियत की सीख दी गई है। दूसरी तकरीर को संबोधित करते हुए मौलाना सैय्द इंतजार मेंहदी फैजी ने कहा कि कर्बला के मैदान में इमामे हुसैन को 3 दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया गया।
उन्होंने कहा इमाम हुसैन और इमाम हसन रसूल अल्लाह के दोनों नवासे है, दोनों में फर्क इतना था कि हसन के जनाजे पर तीर लगे थे और हुसैन का लाशा तीरों पर था। मौलाना सैयद कैसर अब्बास हसनाबाद कटौना ने कहा कि कर्बला के मैदान में जनाबे अली असगर छह माह के थे जिन पर जालिमो ने तीरे सितम बरसाया और अली असगर शहीद हो गए। मजलिस और नौहे को सुनने के दौरान प्रत्येक की आंखो से बरबस आंसू निकल पड़े।
रिपोर्ट- हसन अब्बास