यह तो रही जनता द्वारा चयनित माननीय व उनके प्रतिनिधि की बात। नगर पालिका के 25 वार्डों के सभासदों के बारे में अपवादों को छोड़कर यदि ऐसा ही कहा जाए तो सर्वथा गलत नहीं होगा। अब आते हैं नगर पालिका प्रशासन अकबरपुर के कुशल संचालन हेतु नियुक्त अधिशाषी अधिकारी, वरिष्ठ कर्मचारी, अवर अभियन्ता (निर्माण) और सुपरवाइजर की कार्यशैली पर।
नपाप अकबरपुर के अधिशाषी अधिकारी सुरेश कुमार मौर्य हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि बीते दो वर्षों से ये लगातार मनमाने ढंग से कार्य कर रहे हैं। इनका मुख्य उद्देश्य अर्थोपार्जन है। जानकारों के अनुसार इन्होंने अपने इस कार्यकाल में कई चुनिन्दा अन्य पूर्ववर्ती अधिशाषी अधिकारियों के धनकमाऊ कीर्तिमान को तोड़ते हुए नया रिकार्ड बनाया है। जो कब टूटेगा..........टूटेगा भी या नहीं.......यह तो आने वाला समय ही बताएगा। इनकी कारस्तानी की चर्चा नगर के प्रबुद्धजनों में प्रायः होती रहती है। एक तरह से 24 महीने में ही ये नगरजनों के लिए उबाऊ हो गए हैं।
अवर अभियन्ता (निर्माण) घनश्याम मौर्या हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि ये ई.ओ. के स्वजातीय हैं। इन पर चेयरमैन/प्रतिनिधि, ई.ओ. का पूरा वरदहस्त है। घनश्याम मौर्य एक असहाय मुलाजिम हैं, जिनका संचालन चेयरमैन, ई.ओ. और अन्य धाकड़ ओहदेदारों द्वारा किया जा रहा है। नगर के स्वच्छता प्रभारी, सफाई नायक व सफाई कर्मियों की तो बात ही दीगर है। इनके बारे में कुछ भी लिखना शायद व्यर्थ ही होगा........।
लब्बो-लुआब यह कि चेयरमैन, सभासद जनप्रतिनिधि हैं और वर्तमान नियमानुसार इन्हें अगले चुनाव तक हटाया भी नहीं जा सकता। अकबरपुर की जनता जो दर्दुशा झेल रही है, उसका परिणाम इन्हें आगामी चुनाव में अवश्य ही मिलेगा, ऐसा लोगों का कहना है।
ई.ओ. जिन्होंने अपने दो वर्षीय कार्यकाल में एक अनूठा कीर्तिमान स्थापित किया है। भ्रष्टाचार (मनमाना व लूट-खसोट) इनसे बेहतर और कोई कर पाएगा.....यह तो समय ही बताएगा। और वह समय तब आएगा जब इनके यहाँ से हटने के उपरान्त आने वाला इनका उत्तराधिकारी इनसे भी दो-चार कदम आगे होगा। इन लोगों की कारस्तानी से दुःखी होकर अकबरपुर की आत्मा से अब कुछ इस तरह की आवाजें निकलने लगी हैं- इन्हीं लोगों ने, इन्हीं लोगों ने.........इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा...........।