लखनऊ। बच्चा अगर स्वस्थ रहेगा तो समाज स्वस्थ होगा और जब समाज स्वस्थ होगा तो देश भी स्वस्थ होगा। इसी मूलमंत्र को आधार मानकर देश भर से आये होम्योपैथिक विशेषज्ञों ने यहां गोमती नगर स्थित होटल लीनेज में अपने-अपने विचार रखे, मंथन किया तथा बच्चों की बीमारी में होम्योपैथी उपचार को लेकर विभिन्न प्रकार के रोगों पर चर्चा भी की। इस एक दिन के मंथन में जो अमृत निकला वह यह है कि होम्योपैथी को उसका सही मुकाम दिलाने के लिए मेहनत करनी होगी, होम्योपैथिक दवा कैसे काम करती है, इसे वैज्ञानिक तरीके से समझाना होगा। यह भी कहा गया कि बच्चों की जीवन शैली को मेहनतकश बनाने पर भी माता-पिता को गंभीर रूप से विचार कर उसे एयरकंडीशन्ड चाइल्ड बनने से रोकना होगा।
होम्यो पीडियाकॉन का आयोजन होम्योपैथिक साइंस कांग्रेस सोसाइटी के तत्वावधान में होटल लीनेज, गोमती नगर में किया गया। जिसका विषय था ‘रोल ऑफ होम्योपैथी इन पीडियाट्रिक डिजीज। सम्मेलन के संयोजक एवं केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के पूर्व सदस्य डॉ अनुरुद्ध वर्मा ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर होम्योपैथी के जनक डॉ सैमुअल हैनीमैन के चित्र पर माल्यार्पण करके किया, उनके साथ विशिष्ट अतिथि जयपुर होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ जेडी दनियानी, जयपुर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ अतुल कुमार सिंह, समारोह की अध्यक्षता करने वाले उत्तर प्रदेश होम्योपैथी मेडिकल बोर्ड के चेयरमैन प्रो बीएन सिंह, नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ अरविंद वर्मा शामिल थे।
मुख्य अतिथि सुभाष चंद्र सिंह ने होम्योपैथी की महत्ता बताते हुए कहा कि ऐलोपैथी को बाजारवाद से जोड़ दिये जाने के कारण इसका चलन पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा होता है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव का जिक्र करते हुए यह भी बताया कि पिछले दिनों उनकी पत्नी यहां केजीएमयू में भर्ती हुई थीं, उन्हें जो दवा दी जाती थी वह कभी असर करती थी तो कभी नहीं। उन्होंने जब इस बारे में विभागाध्यक्ष से बात की तो उन्होंने बताया कि एलोपैथी दवाओं से रोग का पूर्ण समाधान नहीं होता है, इसके साथ अपनी जीवन शैली, दिनचर्या और व्यायाम पर भी ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी होम्योपैथी दवाओं को लाया जाये जो तुरंत राहत दिला सकें तो यह बड़ी सफलता होगी।
इससे पूर्व संयोजक डॉ अनुरुद्ध वर्मा ने स्वागत भाषण में आये हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इसे सिर्फ पीडियाकॉन नहीं बल्कि होम्यो पीडियाकॉन नाम इसीलिए दिया गया है कि नाम से ही समझ आ जाये कि इसमें बच्चों के रोगों और रोग के कारणों पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे कारण जिनका सीधा सम्बन्ध बड़ों से है, यानी उन कारणों के लिए बड़े जिम्मेदार हैं जिनसे बच्चे रोग ग्रस्त होते है इस पर सार्थक चर्चा ही इसका समाधान निकाल सकती है। उन्होंने कहा कि बच्चों में अनेक प्रकार की ऐसी समस्यायें हैं जो उनके लिए जानलेवा सिद्ध होती हैं, अकेले डायरिया से ही हर साल 10 लाख मौतें हो जाती हैं। दूसरी बड़ी समस्या कुपोषण है। उन्होंने कहा कि बच्चों को होने वाली समस्याओं का कारण आजकल होने वाला लालन-पोषण का तरीका है। बच्चों को छुई-मुई बना दिया गया है, माता-पिता अपने बच्चों को मिट्टी में खेलने नहीं देते हैं, जबकि यह देखा गया है मिट्टी में खेलने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
उन्होंने कहा कि पहले तनाव, अवसाद जैसी बीमारियां बड़ों में पायी जाती थीं, अब हाल यह है कि ये बीमारियां बच्चों में भी होने लगी हैं, इसका बड़ा कारण पढ़ाई का बोझ जो उन पर कुछ ज्यादा ही डाल दिया गया है। बस्तों का हाल यह है कि 9 किलो का बच्चा और उसके स्कूल बैग का वजन 11 किलो, इसका दूसरा कारण है मोबाइल, माता-पिता भी इसे बड़े गर्व से बताते हैं कि मेरा बेटा मोबाइल चलाता है, उसी में मस्त रहता है। उन्होंने कहा कि मोबाइल ने बच्चों से उनका बचपन छीन लिया है। बच्चों में हिंसा, गुस्सा, झूठ बोलने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
विशिष्ट अतिथि डॉ जेडी दरियानी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज जरूरत है होम्योपैथिक दवाओं से होने वाले फायदे को वैज्ञानिक तरीके से समझाने की। उन्होंने कहा कि दवा के फायदे के बारे में वैज्ञानिक तरीके से उत्तर देने से देश में बड़ा मैसेज जायेगा। उन्होंने अपनी प्रस्तुति में इस पर बड़ा व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि जैसे लम्बे समय से हम लोग कैल्करिया फॉस का उपयोग करते आ रहे हैं, यह दवा इतनी प्रसिद्ध हो गयी है कि ज्यादातर घरों में मिल जाती है, यही नहीं दूसरी पैथी के लोगों को भी इसे दांत निकलने में सहायक दवा के रूप में जानकारी है। लेकिन अब जरूरत इस बात का बताने की है कि कैल्करिया फॉस किस तरह काम करती है। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए कैल्करिया फॉस कैल्शियम की पूर्ति करती है, उन्होंने विस्तार से बताया कि कैल्करिया फॉस बच्चे की जनरल हेल्थ में कितनी सहायक है। बच्चे के एनिमिक होने, मिट्टी खाने की आदत होने, जल्दी-जल्दी सर्दी, रेस्पेरेटरी प्रॉब्लम होने जैसी दिक्कतों के उपचार में कैल्करिया फॉस की बड़ी भूमिका है।