यदि आप बिना डी.एल. के वाहन चलाते हैं तो आपको भारी भरकम जुर्माना भरना पड़ सकता है, लेकिन जिनका ड्राइविंग लाइसेन्स अभी तक नहीं बना है उन लोगों के लिए एक खुशखबरी भी है। लोगों को रजिस्ट्री एण्ड लाइसेन्स अथॉरिटी (आर.एल.ए.) में किसी तरह की परेशानी न हो इस लिए सरकार द्वारा लाइसेन्स सम्बन्धी अलग-अलग सर्विस के लिए एक ही फार्म शुरू किया गया है। उक्त जानकारी अम्बेडकरनगर के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कैलाश नाथ सिंह ने दिया। उन्होंने बताया कि पहले अलग-अलग काम जैसे लर्नर लाइसेन्स, रिन्युवल (नवीनीकरण) और इसी तरह के बाकी काम के लिए अलग-अलग फार्म भरने की जरूरत रहती थी, लेकिन अब इसको समाप्त करके फार्म नम्बर-2 को शुरू किया गया है। इसके साथ ही लर्नर लाइसेन्स बनवाते समय मेडिकल सर्टिफिकेट देने की भी जरूरत नहीं होगी। ए.आर.टी.ओ. के.एन. सिंह के मुताबिक अब डी.एल. आवेदक सिर्फ सेल्फ डिक्लेरेशन फार्म ही देना होगा। उन्होंने बताया कि यह सुविधा सिर्फ नॉन ट्रान्सपोर्ट कैटेग्री (एन.टी.) में बनवाये गए लाइसेन्स के लिए ही उपलब्ध होगी।
देर से पंजीयन होने पर डीलर पर लगेगा 15 गुना ज्यादा जुर्माना
नए मोटर व्हिकिल एक्ट में नियम के अनुसार एजेन्सी से गाड़ी खरीद की तिथि से 7 दिन के भीतर वाहन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरा करना जरूरी होगा। ऐसा न करने पर भारी अर्थदण्ड देना होगा, जिसकी जवाबदेही वाहन स्वामी और डीलर दोनों की होगी। उदाहरण के तौर पर यदि वाहन डीलर ने वाहन पंजीयन से सम्बन्धित पत्रावली समय से रिजनल ट्रान्सपोर्ट ऑफिस नहीं भेजी और 7 दिन के भीतर गाड़ी का पंजीयन नहीं हो पाया तो उसे गाड़ी के वन टाइम टैक्स का 15 गुना जुर्माना देना होगा। वहीं वाहन स्वामी की आवेदन में लापरवाही मिलने पर टैक्स का 1 तिहाई अर्थदण्ड बिना नम्बर गाड़ी पकड़े जाने पर भुगतना होगा। उक्त बातें बतौर जानकारी देते हुए अम्बेडकरनगर के ए.आर.टी.ओ. कैलाशनाथ सिंह ने बताईं।
श्री सिंह के अनुसार वाहन पंजीयन प्रक्रिया में लापरवाही पर 20 लाख रूपए कीमत के वाहन खरीददार को करीब 66 हजार रूपए का दण्ड देना होगा। इस नियम के दायरे में वे वाहन स्वामी भी आएँगे, जिन्होंने गाड़ी बाह्य जिले से खरीदी और पंजीयन नम्बर के लिए दूसरे जिले में आवेदन किया है। ए.आर.टी.ओ. के अनुसार यह आर्थिक दण्ड वाहन स्वामी को स्वयं भुगतना पड़ेगा और यह नए जुर्माने के अतिरिक्त होगा। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कैलाश नाथ सिंह ने बताया कि नए मोटर व्हिकिल एक्ट में 192बी के तहत पंजीयन प्रक्रिया में जवाबदेही तय की गई है। अब तक वाहन डीलरों की ओर से लापरवाही की जाती रही थी।