अम्बेडकरनगर। उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लॉन आफ एक्शन 2020-21 के अनुपालन में डॉ0 बब्बू सारंग, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर के निर्देशानुसार दिनांक 22 दिसम्बर 2020 को 11ः30 बजे से जिला कारागार, अम्बेडकरनगर में साम्प्रदायिक सौहार्द विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए जारी दिशा-निर्देशों के अन्तर्गत किया गया।
शिविर को सम्बोधित करते हुये अशोक कुमार-ग्प्प्, प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर ने बताया कि मानवता ही सब कुछ है। मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है। हर समुदाय के लोगों में एक ही खून दौड़ रहा है। फिर हम लोग आपस में एक समुदाय से दूसरे समुदाय के लोगों से वैमनस्यता क्यों रखते हैं ? समाज में विनाश का जड़ वैमनस्यता ही है। उन्होंने बताया कि लोग अपने बच्चों को अधिक से अधिक पढ़ाई के लिये प्रेरित करें। यदि शिक्षा का विस्तार ज्यादा से ज्यादा होगा तो समाज में एक दूसरे में प्रेम मोहब्बत जगेगी, समाज उन्नति की ओर अग्रसित होगा। जेहाद की विष-भावना नहीं जागृति होगी।
समाज में आदि काल से हमारे सन्त पुरूषों ने भी सामाजिक एकरूपता बनाने के लिये अपने कविता के माध्यम से सन्देश दिया है। कबीर दास जी ने हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म के आडम्बरों का विरोध किया है। कहने का आशय यह है कि किसी भी धर्म के आडम्बर का तिरस्कार करना चाहिये और अपने धर्मों की पूजा-अर्चना अपने विधि विधान से करना चाहिये। उन्होंने बताया कि आप चाहे किसी धर्म का सम्मान करें या न करें किन्तु किसी भी धर्म का अपमान न करें। प्रभारी सचिव महोदय ने बताया कि पहले ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिम समाज के लोग हिन्दुओं के त्यौहार में शिरकत करते हैं तथा अबीर एवं गुलाल उड़ाते हैं तथा हिन्दू धुर्म के अनुयायी भी ईद जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार पर सेवईं खातें हैं और एक दूसरे के गले मिलते हैं।
रमाकान्त दोहरे, जेलर, जिला कारागार, अम्बेडकरनगर ने बताया कि शिक्षक सभी धर्म के लोगों को एक ही शिक्षा देता है भेद-भाव की भावना उसके दिल के अन्दर कभी नहीं रहती है परन्तु समाज में विद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद जब हम अपना दायित्व निभाते हैं तो हमारे अन्दर जाति का विभेद पैदा हो जाता है। यह गम्भीर विषय है। इस विषय पर आज चिन्तन करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है। मानवता सभी धर्मों से सर्वोपरि है। अगर हमारी इच्छाशक्ति दृढ़ है, मजबूत है तो समाज में साम्प्रदायिक उन्माद पैदा नहीं हो सकता है।
चन्द लोग अपने स्वार्थ की पूर्ति हेतु समाज में जो यह साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करना चाहते हैं उनका मुॅहतोड़ जबाव हम अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से दे सकते हैं। पहले समाज में समरसता कायम था किन्तु आज हम देखते हैं कि एक वर्ग दूसरे वर्ग के त्यौहारों में बढ़-चढ़कर हिस्सा नहीं ले रहे हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम लोग एक दूसरे के धर्म का आदर करें तभी समाज में समरसता कायम होगा और हम सुखी रहेंगें। इस शिविर में देवनाथ यादव, उपकारापाल, प्रदीप, रिम्पू कुमार तथा जिला कारागार के कर्मचारीगण आदि उपस्थित थे।