मलेरिया
मलेरिया में कत्था एक बेहतर औषधि के रूप में काम करता है। मलेरिया में इकसी गोली बनाकर खाने से रोगी का बचाव किया जा सकता है। दांतों की समस्या के लिए दांतों की समस्या को ठीक करने के लिए कत्था का सेवन फायदेमंद माना जाता है। पान के साथ कत्थे का उपयोग करने से मसूड़ों को मजबूती मिलती है।
खांसी
अगर आप लगातार खांसी से परेशान हैं, तो कत्थे को हल्दी और मिश्री के साथ एक-एक ग्राम की मात्रा में मिलाकर गोलियां बना लें। अब इन गोलियों को चूसते रहें। इस प्रयोग को करने से खांसी दूर हो जाती है।
बवासीर
बवासीर रोग में सफेद कत्थे का प्रयोग उपचार के तौर पर किया जाता है। इसके प्रयोग बड़ी सुपारी और नीला थोथा के साथ भूनकर किया जाता है। मक्खन के साथ तांबे के बर्तन में मिलाकर संबंधित स्थान पर लगाने से फायदा होता है। कैसे बनाया जाता है कत्था कत्था बनाने के लिए खैर के पेड़ का इस्तेमाल किया जाता है।
इसे बनाने के लिए खैर के पेड़ का तना काटकर उसकी लकड़ी को पतले चिप्स की तरह काटा जाता है। इन कटी हुई लकड़ियों को उबालें। इन्हें करीब तीन घंटे तक उबालें इस पानी से जो अर्क निकलता है, उसे मलमल के कपड़े से फिल्टर किया जाता है। फिर इसे खुले बरतन में डालकर छाया वाले स्थान पर तब तक के लिए रखा जाता है, जब तक कत्था का क्रिस्टलाइजेशन ना हो जाए.