-रामविलास जांगिड़
पुराने दौर की खूबसूरत भूतनी हाथ में मोमबत्ती लेकर महल में घूमती थी और शानदार गाना गाती थी, ‘आएगा आने वाला’ तो दर्शकों को भूतनी से घनघोर प्रेम होने लगता था। सब लोग भूतनी के इंतजार में अपनी अखियां बिछाए ताकते रहते थे। पुराने जमाने की भूतनियां बहुत ईमानदार और नैतिक होती थी। विदेशी भूत हो या चुड़ैल सभी डरावने और खूंखार लगते हैं। देसी भूतनियों की तो बात ही कुछ और है। इधर इंडिया में तो भूत यानी मेल घोस्ट सिर्फ राजनीति में ही मिलते हैं। पब्लिक में भूतनियों की डिमांड ज्यादा है।
जनता को भूतनियां ज्यादा पसंद हैं और वो भी हॉट और ग्लैमरस! विज्ञापन की डिमांड में भूतनियों ने सबसे ज्यादा बाजी मारी है। इसी का नतीजा है कि विज्ञापन व व्यापार में ज्यादातर भूतनी या चुड़ैल ही देखने को मिलती है। पुराने जमाने की भूतनियों का तो बाकायदा एक ड्रेस कोड भी था, और वह थी एकदम सफेद झक्क साड़ी! कभी सफेद साड़ी तो कभी दूसरी हॉट ड्रेस में ये चुड़ैल हीरो के साथ-साथ पब्लिक को भरमाती ही नहीं, बल्कि शानदार गाने भी गाती। पुराने जमाने की भूतनियां एक अच्छी सिंगर हुआ करती। उन्हें ताल, दादरा और ठुमरी का पूरा ज्ञान था। मजाल कि गाना गाते समय कोई भी स्वर इधर-उधर हो जाए!
हंसने के मामले में ये इतनी उस्ताद हुआ करती कि उनके दांत अंधेरी रात में सोडियम लाइट ही बिखेरा करते। इनकी चमक से भूत सरकार अपनी बिजली समस्या सॉल्व कर लेती थी। भूतनियां जब किसी के पीछे लग जाती तो आराम से 20-25 रील काट लेती। ये बहुत ज्यादा खूबसूरत होती। इसलिए डर के बावजूद उसे देखने के लिए कई बंदे लालायित रहते। अक्सर खूबसूरत भूतनी गाती भी, और दिल चुराती भी। ऐसी भूतनी जब पहाड़ों की वादियों में घूमते हुए गाना गाती, ‘नैना बरसे’ तो उसे देखकर सबकी आंखें प्रेम प्यार से बरसने लगती। मन में ख्याल आता था कि अगर मरी भूतनी इतनी खूबसूरत है तो जिंदा भूतनी कितनी खूबसूरत होगी! लोग भूतनी के पीछे दिल फाड़कर दीवानागर्दी दिखाया करते थे।
पुराने जमाने की भूतनियों का जलवा कुछ और ही था। नए जमाने की भूतनियों का न ठौर है, न ठिकाना! न कोई हंसी है, न कोई गाना! न कोई आचार है, न कोई विचार! इधर भूतनियों का अब कुछ पता नहीं चल पाता है। फेसबुक-व्हाट्सएप पर टि्वटराती ये भूतनियां सीधे तरीके से उल्टे लटके हुए पेश आती है और जनता को एक रहस्य में डाल जाती है। अनुशासित संयमित और सुचिता पूर्ण आवरण में लिपटी पुरानी भूतनियों का जलवा ही कुछ और है। इंसानियत के मामले में पुरानी भूतनियां अब भी इक्कीस है।