सपा के साथ कांग्रेस ने की बड़ी 'डील'!

सपा के साथ कांग्रेस ने की बड़ी 'डील'!

घोसी में 5 सितंबर को होने वाले उपचुनाव से एक साथ कई सियासी तीर निशाने पर लगाए जा रहे हैं। सबसे बड़ा सियासी तीर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को कांग्रेस ने समर्थन देकर छोड़ा है। 




उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने आखिरकार समाजवादी पार्टी के साथ एक बड़ी डील कर ली। यह डील हुई है घोसी के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को समर्थन देकर। इसे विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A को मजबूत करने के लिए लिहाज से देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि समाजवादी पार्टी को कांग्रेस की ओर से दिए जाने वाले समर्थन के बाद अब बारी आने वाले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की है। जिसमें समाजवादी पार्टी को अब बड़ा फैसला कांग्रेस के लिए छोड़ी जाने वाली सीटों के तौर पर लिया जाना है। सियासी गलियारों में चर्चाएं इसी बात की हो रही हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की जो स्थिति है उसमें समाजवादी पार्टी संभव है कांग्रेस के मन मुताबिक सीटें न छोड़े। लेकिन घोसी में कांग्रेस के समर्थन से अब समाजवादी पार्टी पर दवाब पड़ने की बात कही जा रही है।


घोसी में 5 सितंबर को होने वाले उपचुनाव से एक साथ कई सियासी तीर निशाने पर लगाए जा रहे हैं। सबसे बड़ा सियासी तीर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को कांग्रेस ने समर्थन देकर छोड़ा है। राजनीतिक विश्लेषक अरुण सिंह कहते हैं कि कांग्रेस का समाजवादी पार्टी को समर्थन देना सीधे तौर पर घोसी चुनाव को रोचक बना रहा है। वह कहते हैं कि आज के सियासी परिदृश्य में कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में उतना जनाधार नहीं है जितना की अन्य पार्टियों का है, लेकिन समर्थन देकर कांग्रेस ने एक माहौल बनाने का काम जरूर किया है। अरुण सिंह कहते हैं यह माहौल NDA वर्सेज I.N.D.I.A के तौर पर सामने आया है। घोसी के उपचुनाव में राष्ट्रीय लोकदल ने भी समाजवादी पार्टी को समर्थन देकर I.N.D.I.A गठबंधन को इस उपचुनाव में मजबूत किया है। सियासी जानकारों का मानना है कि अब घोसी के उपचुनाव में जो लड़ाई लड़ी जा रही है वह 2024 के लिए तैयार हुए दो बड़े गठबंधनों के बीच की लड़ाई हो गई है।


राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कांग्रेस ने घोसी में समर्थन देकर एक तरह से समाजवादी पार्टी के साथ वह बड़ी डील की है जिसके आधार पर आगे के कुछ और सियासी फैसले किए जा सकें। इन फैसलों में कांग्रेस के लिए सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव में, अगर इसी गठबंधन के आधार पर चुनाव लड़ा जाता है तो, समाजवादी पार्टी की ओर से छोड़ी जाने वाली सीटें ही होगी। वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर सिंह कहते हैं कि कांग्रेस ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद के उपचुनाव में बहुत सक्रियता नहीं दिखाई। कांग्रेस अब इसी गठबंधन के सहारे अब उत्तर प्रदेश में न सिर्फ बड़ा संदेश देने की तैयारी कर चुकी है बल्कि समाजवादी पार्टी को भी एक तरह से गठबंधन में साथ रहकर आगे के लिए बड़ी साझेदारी का सियासी रोड मैप भी तैयार किया है। 


Post a Comment

और नया पुराने