इसरो ने बढ़ाया है हर भारतीय का मान , तिरंगा लहरा कर चंद्रमा पर पहुँचाया चंद्रयान

इसरो ने बढ़ाया है हर भारतीय का मान , तिरंगा लहरा कर चंद्रमा पर पहुँचाया चंद्रयान

 - नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी




मुजफ्फरपुर। शहर के नवयुवक समिति सभागार में नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया गया । कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन , मंच संचालन वरिष्ठ गीतकार डॉ. विजय शंकर मिश्र , स्वागत भाषण नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. लोकनाथ मिश्र ने किया । 


कवि गोष्ठी की शुरुआत उत्तर छायावाद के कवि आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जी के गीत से किया गया । इसके बाद शायर व कवि डॉ.नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने - ' इसरो ने बढ़ाया है हर भारतीय का मान , तिरंगा लहरा कर चंद्रमा पर पहुँचाया चंद्रयान ' सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी । वरिष्ठ शायर रामउचित पासवान ने - ' चले क्यों आज आँखें फेर बन बेगाना साहब जी , खता क्या हो गई ऐसी जरा बतलाना साहब जी ' सुनाकर भरपूर दाद बटोरी । प्रो. डॉ. पुष्पा गुप्ता ने - ' ओ भैया तेरा अभिनंदन , आया है शुभ रक्षाबंधन ' सुनाकर तालियां बटोरी । 


वरिष्ठ कवि डॉ विजय शंकर मिश्र ने - ' हृदय शिवालय प्रेम देवता , निष्काम कर्म है पूजा - वंदन ' सुनाकर तालियां बटोरी । डॉ लोकनाथ मिश्र ने - ' आज देखा है मैंने स्वयं को , पाया है मैंने अपने मन को ' सुनाकर भरपूर दाद बटोरी । युवा कवि सुमन कुमार मिश्र ने - ' आखिर क्यों हमारी रचना आम नहीं खास बनकर रह गई है , श्रोताओं और पाठकों की मोहताज बनकर रह गई है ' सुनाकर तालियां बटोरी । भोजपुरी के वरिष्ठ कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने - ' धीरे-धीरे अइली बदरिया , उतरी असमनवां में हो ' सुनाकर तालियां बटोरी । 



वरिष्ठ शायर डॉ सिबगतुल्लाह हमीदी ने - ' इस ताजमहल से हसीं पैकर भी बनेगा , जिसने बनाया उसका हुनर आखिरी नहीं ' सुनाकर तालियां बटोरी । ओम प्रकाश गुप्ता ने - ' भाव पिरोता हूं शब्दों में , गीत नहीं कोई गान नहीं ' सुनाकर तालियां बटोरी । उदय शंकर प्रसाद ने - ' दो वक्त की रोटी हम बना कहां पाते हैं ' सुनाकर तालियां बटोरी । विजय शंकर प्रसाद ने - ' इश्क की सलाह पर खामोश गवाह , किसे होता रहा मलाल? सुनाकर तालियां बटोरी ।


 डॉ शैल केजरीवाल ने - ' रंगीनियत - रूमानियत को ताख पर धर दीजिए ' सुनाकर तालियां बटोरी। रामवृक्ष राम चकपुरी ने - ' चांद पर यान थ्री उतरने का बड़ा सपना भारत का साकार हो गया । डॉ जगदीश शर्मा ने - ' बढ़ती आबादी का समाधान, खोज देश ने अब लिया है ' सुनाकर तालियां बटोरी । दीनबंधु आजाद ने - ' कुछ भी करने से , ये दुनिया हैरान क्यों है ' सुनाकर तालियां बटोरी । अरुण कुमार तुलसी ने - ' अतीत के मर्म स्थल से वर्तमान के पटल पर ' सुनाकर तालियां बटोरी । अंजनी कुमार पाठक ने - ' जबसे मिली मुझको तुमसे नजर , जी चाहता बना लू तुझे हमसफ़र ' सुनाकर तालियां बटोरी । इसके अलावा कवयित्री हेमा सिंह , रणवीर अभिमन्यु , सुश्री मुन्नी चौधरी , सुरेन्द्र कुमार, अजय कुमार , संतोष कुमार आदि कवियों की भी रचनाएं काफी सराही गई ।

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