एक शाम माॅं के नाम

एक शाम माॅं के नाम



माह सितंबर दो हजार तेईस के दिन  मंगलवार  राम भजन बाजार गोला रोड मुजफ्फरपुर में  श्री राम भजन कांवरिया सेवा शिविर के तत्वाधान में/ परिसर में मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच का 'माॅं एक शाम तेरे नाम' कार्यक्रम आयोजित हुआ।


इस कार्यक्रम का आयोजन विराट स्तर पर हुआ।कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल भारतीय जी ने की और उसका संचालन मगसम के संयोजक श्री नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी गोपाल भारती  जी ने किया।  गोष्ठी का प्रारंभ श्रीमती सविता राज  द्वारा सरस्वती वंदना/ मां आधारित रचना पाठ से हुआ। वंदना के उपरांत श्री सुधीर जी ने सभी उपस्थित साहित्यकारों को मगसम के मौलिक लक्ष्यों, उद्देश्यों और उसकी कार्य प्रणाली के संबंध में विस्तार से बताया।उन्होंने इस तथ्य पर विशेष बल दिया कि मगसम में रचनाकारों से अधिक महत्व रचनाओं को दिया जाता है।श्री सुधीर जी ने अपने उस वक्तव्य के उपरांत बारी-बारी सभी उपस्थित साहित्यकार को माॅं पर सृजित रचना के पाठ हेतु बुलाया। 


गोष्ठी के अंतिम सत्र में सम्मान समारोह आयोजित हुआ जिसके प्रथम चरण में अध्यक्ष जी द्वारा तीन सबसे श्रेष्ठ रचना पाठ करने वालो साहित्यकारों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया। 


उनमें प्रथम स्थान सुमन कुमार मिश्रा को, द्वितीय स्थान नर्मदेश्वर चौधरी को और तृतीय स्थान सविता राज जी को प्राप्त हुआ। सभी पधारे साहित्यकारों को सहभागिता सम्मान पत्र भी प्रदान किया गया नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी जी को मेडल पहनाकर सम्मानित किया गया एक पदाधिकारी होने के नाते उनका यह सम्मान किया गया।


गोष्ठी के अध्यक्ष  जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में साहित्य सृजन की लौकिक भूमिका और महत्व पर प्रकाश डाला तथा उसके सूक्ष्म बिन्दुओं को रेखांकित किया। श्री परमानंद पांडे के धन्यवाद ज्ञापन के बाद गोष्ठी का समापन हुआ।इस प्रकार यह विशेष गोष्ठी साहित्यिक सौहार्द के साथ सम्पन्न हुई। 


अपराह्न तीन बजे प्रारम्भ हुई यह गोष्ठी लगभग साढ़े तीन घंटे तक चली। सुधीर सिंह की हृदयस्पर्शी रचना मेरा कमरा कब तेरा हो गया,नई ये जान न पाया" को बहुत ही प्रशंसा मिली।


रवि प्रकाश वोहरा की पक्तियां "हर कष्ट में मां, मैंने तुझे पुकारा है,तूने भी हर वक्त ,मुझे दिया सहारा है" ने खूब तालियां बटोरी।गोपाल भारतीया की रचना भारत। भू की मथुरा नगरी, कारा की दीवारें,जहां देवकी मां से जन्में सुंदर श्याम सलोने" ने बहुत की प्रशंसा बटोरी। डॉ नर्मदेश्वर चौधरी की गजल " कदमों के नीचे मां के तो जन्नत है,सोच लें,दर्जा बड़ा है मां का,बताती थी मेरी मां" ने खूब वाह वाही बटोरी।अंजनी कुमार पाठक की पंक्तियां "जब जब कष्ट है होता,मां की याद आती है",को भी भरपूर तारीफ मिली।


सविता राज की कविता "मां के प्यार सा संबल नहीं जहां में" ने तालियां बटोरी।सुमन कुमार मिश्र की कविता "जिसके चरण स्पर्श स्वर्ग हो,वो तो बस मां होती है" बहुत ही प्रशंसनीय थी।प्रमोद नारायण मिश्र ने "मां तो मां होती है,अच्छी या बुरी नहीं" ने तालियां बटोरी।उमेश राज की रचना "ओ मां मेरी प्यारी तू क्यों मुझसे रूठी है" को भी तारीफ मिली।आलोक कुमार अभिषेक की रचना " माता समझ न आए मैं तेरा ऋण चुकाऊं कैसे"? बहुत ही सराहनीय थी।सूबेदार नंदकिशोर साहु की रचना अनमोल जिंदगी का सूत्रधार मेरी मां " सुनाई।

Post a Comment

और नया पुराने