कहीं शौचालय, चहारदीवारी और पेयजल व्यवस्था नही तो कहीं अपर्याप्त....

कहीं शौचालय, चहारदीवारी और पेयजल व्यवस्था नही तो कहीं अपर्याप्त....




अम्बेडकरनगर। जिले के बेसिक शिक्षा विभाग के मुखिया कार्यालय में बैठकर ही मीडिया में  वक्तव्य देकर विशुद्ध नेतागिरी स्टाइल में काम कर रहे हैं। परिषदीय बेसिक  स्कूलों  में कौन और कितनी समस्याएं हैं इनका निराकरण कैसे होगा के प्रति विभाग शायद ही सजग है। जिले के परिषदीय स्कूलों की उपेक्षा अवश्य ही छीन और सोच का विषय है।


जिले के परिषदीय विद्यालयों में कहीं बाउंड्रीवॉल नहीं है तो कहीं पेयजल की समुचित व्यवस्था ही नहीं है। कई जगह शौचालय तक का निर्माण नहीं हो सका है। इससे संबंधित विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षकों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। परिषदीय विद्यालयों में व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त करने का दावा तो बढ़- चढ़कर किया जाता है लेकिन वास्तविकता इससे परे है। 


बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय से मिले आंकड़े के मुताबिक जिले में 1582 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। इसमें लगभग दो लाख चार हजार छात्र-छात्राएं शिक्षा हासिल कर रहे हैं। 


इनमे से अधिकाश ऐसे विद्यालय हैं जहां बाउंड्रीवॉल, शौचालय, पेय जल की व्यवस्था ही नही है।इसके साथ ही आधा दर्जन से अधिक विद्यालयों में या तो शौचालय नहीं है या फिर क्षतिग्रस्त है। भीषण गर्मी में पेयजल की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। कहीं टोटियां क्षतिग्रस्त हैं तो कहीं हैंडपंप खराब है। 


किसी एक प्राथमिक विद्यालय के बारे में ही क्या कहा जाए जब कि लगभग 90 प्रतिशत विद्यालयों में समस्याओं का अंबार लगा है। बेसिक विद्यालयों में पेयजल और शौचालयों की व्यवस्था न होने से छात्र-छात्राओं व शिक्षक शिक्षिकाओं को काफी दिक्कत होती है। जरूरत पड़ने पर गांव में जाना पड़ता है। बाउंड्रीवॉल न होने से अराजकतत्व अक्सर परिसर में लगे हैंडपंप को क्षतिग्रस्त कर देते हैं। इससे पेयजल को लेकर भी कई बार समस्या खड़ी हो जाती है।


अकबरपुर शिक्षा क्षेत्र के कई गांवों में संचालित प्राथमिक विद्यालय में पेयजल की समस्या है। यहां पानी के लिए टंकी तो रखी है। लेकिन टोंटियां ही गायब है, एक दम निष्प्रयोज्य।


कई  शिक्षकों ने बताया कि उनके  यहां के विद्यालय  में बाउंड्रीवॉल क्षतिग्रस्त होने के चलते चोरों और  अराजकतत्वों द्वारा काफी नुकसान किया जाता है। 


कई प्राथमिक विद्यालय में  चहारदीवारी न होने से अक्सर शिक्षण कार्य के समय या फिर दोपहर का भोजन करने के दौरान मवेशी आ जाते हैं इससे समस्या होती है। इसके साथ ही जलापूर्ति के लिए  की गई व्यवस्था भी नाकाफी है। अराजकतत्व टोटी क्षतिग्रस्त कर देते हैं।


उधर बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार ओहदेदार यह कह कर पल्ला झाड़  लेते है कि परिषदीय विद्यालयों में शौचालय, पेयजल व बिजली की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त कराया जा रहा है। आम चुनाव का हवाला देकर समस्या निवारण से फिलहाल मुक्ति पा ले रहे हैं। जिम्मेदारों का कहना है कि इसके साथ ही जिन विद्यालयों में बाउंड्रीवॉल नहीं है वहां निर्माण के लिए पूर्व में ही प्रक्रिया शुरू की गई है। चुनाव बाद क्रमवार ढंग से काम आगे बढ़ेगा।

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