और आलाकमान पित्रोदा हुआ

और आलाकमान पित्रोदा हुआ

- रामविलास जांगिड़




बिल्डिंग के 110 वें माले पर लटका बेताल उछलकर विक्रमादित्य के कंधे पर बैठ गया। बेताल ने अपना व्हाट्सएप ऑन किया और अपनी रिपोर्ट भूत सम्राट को भेजने के बाद विक्रमादित्य के सर पर एक थपकी दी और कहा- "हे विक्रमा! आज मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। कहानी सुना कर मैं बाद में प्रश्न पूछूंगा। अगर तूने उत्तर सही नहीं दिए, तो मैं तेरे सारे सोशल मीडिया अकाउंट को हैक कर दूंगा।" 


सोशल मीडिया अकाउंट हैक की बात सुनकर विक्रमादित्य कुछ नहीं बोल पाया। तब बेताल ने यह कथा सुनाई- एक व्यक्ति जिसे पति शब्द कहकर अपमानित किया जाता है। इसी जीव को एक दिन सुबह-सुबह ही आध्यात्मिक होने का वायरल फीवर हो गया और आंखें बंद करके सोचने लगा- 1 आखिर मैं हूं कौन? 2. इस धरती पर कहां से आया हूं? 3. मेरे यहां पर आने का कारण क्या है? 4. मुझे क्या करना चाहिए? 5. मैं आखिर कहां चला जाऊंगा? इन प्रश्नों को वह मन ही मन में इतना जोर से बोल रहा था कि किचन साधना में रत पतिदेव की पत्नी श्री ने इसे सुन लिया। वह चीख कर चीखी- आपको शर्म नहीं आती है! मन में इतना जोर से बोलते हो। किसे सुना रहे हो यह सब नाटक! 


पूरी दुनिया को पता है कि पति लोगों के ये प्रश्न कोई मायने नहीं रखते। सुनो! 1. तुम आखिर में एक नम्बर के आलसी हो। 2.तुम न जाने कौन सी दुनिया से मेरे साथ टपक पड़े हो। 3. तुम्हारे यहां आने का सिर्फ एकमात्र कारण है मेरी जिंदगी बर्बाद कर देना। 4. करना क्या चाहिए? समझते नहीं हो क्या! रोज करते हो, झाड़ू बर्तन का काम। करो! 5. दिन भर व्हाट्सएप-फेसबुक में घुसे पड़े रहते हो। आखिर तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है। सीधे मेरे पास आओ। वो देखो! पंखे पर ढेरों जाले लटक रहे हैं। इन्हें साफ करो!


सभी पांचों आध्यात्मिक प्रश्नों का बड़ी सुगमता से उत्तर मिलने के बाद पतिदेव को तत्काल बोध की प्राप्ति हो गई। कहानी सुना कर बेताल ने फेसबुक पर अपनी ताजा रील अपलोड करते हुए विक्रमादित्य से पूछा- बताओ विक्रमा! इस कहानी में पति-पत्नी कौन है और यह कहां की घटना है? तब विक्रम ने अपनी तलवार को हवा में फन्नाया। सड़क पर पड़े एक पत्थर के जोर से ठोकर लगाई। पत्थर सड़क किनारे खड़े एक कुत्ते के जबड़े पर जोर से लगा। कुत्ता मार दर्द के चिल्लाने लगा लेकिन उसकी चिल्लाहट किसी ने नहीं सुनी। तब विक्रम ने चीख कर कहा- सुनो बेताल! यह कहानी भारतखंडे खंडे-प्रखंडे हर एक राजनीतिक पार्टी की कहानी है। इसमें नेता पतिव्रता पुरुष जैसा कुछ है और आलाकमान एक पत्नी के रूप में कार्यरत है। 


और सुनो! अभी जिस कुत्ते को पत्थर की लगी है और वह दर्द के मारे चिल्ला भी नहीं रहा है वह पॉलीटिकल पार्टी का आम कार्यकर्ता है और ऐसे ही आलाकमान पित्रोदा हो जाता है। उत्तर सुनकर बेताल ने जोर से अट्टहास लगाया और अन्य किसी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के 138 वें माले पर लटक गया, जहां उसके जैसे कई बेताल हर एक मंजिल पर लटके पड़े थे। तब उसने कहा- वाह रे विक्रमा! अब तो तू बहुत सयाना हो गया है रे!

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