अधिकारियों और निर्माण दाई संस्था की मिलीभगत से धन की हुई आपसी बांट

अधिकारियों और निर्माण दाई संस्था की मिलीभगत से धन की हुई आपसी बांट

 

जल जीवन मिशन का लाखों डूबने के कगार पर


नलकूप भवन और  परिसर बरसात के पानी से बना टापू




अंबेडकरनगर। जिले के अकबरपुर विकास खंड के कोंडरा कटरिया सम्मनपुर गांव में जल जीवन मिशन के तहत निर्माणाधीन नलकूप भवन इस समय टापू बन गया है। बरसात के दिनों में चारो तरफ से जल भराव की वजह से ऐसा हुआ है। 


बताया गया है कि तालाब की भूमि पर बनने वाला  यह नलकूप भवन लगभग  निर्मित हो चुका है। अधिकारियों और विभागीय अन्य जिम्मेदारों की अदूरदर्शिता और  अज्ञानता की वजह से गांव वासियों को पानी की आपूर्ति  करने वाला नलकूप खुद जलप्लावन का शिकार होकर लगभग डूब गया है। अधिकारियों की अदूरदर्शिता से मिशन का लाखों रुपया भी डूब चुका है।


तालाब की जमीन पर नव निर्मित नलकूप भवन अपनी बदहाली पर आंसू बहाने के साथ ही भ्रष्टाचार के खुला खेल की दास्तान भी कह रहा है। यह नलकूप भवन बारिश में डूब जाएगा, इस तरह की जानकारी कुछ जागरूक लोगों ने विभाग और जिला प्रशासन को दिया था। लेकिन उधर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया।


आरोप है कि अधिकारियों की अदूरदर्शिता मनमाना पन और ठेकेदार की सांठगांठ से सरकार की महत्वाकांक्षी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। जनता का पैसा जिसे सरकारी धन कहा जाता है कुछ चुनिंदा भ्रष्ट लोग मिलकर आपस में बाँट ले रहे हैं। प्रतीत हो रहा है कि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी जल जीवन मिशन योजना को सफल होने में सदियों लग जाएगा।


उक्त गांव की पानी की टंकी इस समय काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। उच्चाधिकारियों की सह पर ठेकेदार मनमाना कर रहा है। निर्माण में प्रयुक्त होने वाली समग्र मानक के विपरीत हैं। स्थानीय लोगों ने इसका प्रबल विरोध किया और कुछेक पत्रकारों ने खबरों का प्रकाशन भी किया। लेकिन नतीजा शिफर ही रहा।भ्रष्टाचार के जरिए मिशन का पैसा लूटने के मामले में जल निगम विभाग और ठेकेदार की दसों घी और सिर कड़ाहे में होना  कहा जा रहा है।


वर्तमान जिलाधिकारी को जनपद वासी एक अनुभवी कर्मठ और ईमानदार हाकिम मानते हैं , लेकिन इस नल कूप भवन की दुर्दशा देखने की उन्होंने ने भी जहमत तक नहीं उठाया।


दूरभाष पर हुई वार्ता में स्थानीय ग्रामीणों में  टंकी इंजीनियर के नाम से चर्चित अमित पांडे ने पूरी खबर को मिथ्या करार दिया है।  जल निगम के अधि अभि, सहायक अभियंता और अवर अभियंता ने तो इस बाबत बात करना गवारा ही नहीं समझा।

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