प्रधानमंत्री का स्टार्टअप पकौडा दिवस

प्रधानमंत्री का स्टार्टअप पकौडा दिवस



बारिश के मौसम में चाय के साथ गर्मागर्म पकौड़े हों तो महफिल सज उठती है। आज 5 जुलाई को पकौड़ा दिवस पर बारिश हुई,  लोगों ने पकौड़ों का स्वाद लिया। मौका था विश्व सिंधी पकौड़ा दिवस 5 July का। यह दिन सिंधी समाज के लिए स्वाद से भरपूर रहता है । सिंधी समाज के घर-घर में विश्व सिंधी पकौड़ा दिवस मनाया जाता है । तरह-तरह के पकौड़े बनाकर परोसे गए।


सिंधी समाज अपनी जीवंत संस्कृति और समृद्ध विरासत के लिए प्रसिद्ध है। जो चीज इसे विशिष्ट और लोकप्रिय बनाती है, वह है भोजन। सिंधी व्यंजन स्वादिष्ट और सुगंधित मसालों से भरपूर होता है। पकौड़ों की तो बात ही अलग है। विश्व पकौड़ा दिवस पर शुक्रवार को सिंधी समाज के घरों में अनेक प्रकार के पकौड़े बनाए गए। सभी ने मिल-जुलकर पकौड़ों का लुत्फ लिया। सन्ना पकौड़ा, पटाटा पकौड़ा, मिर्ची पकौड़ा, पालक पकौड़ा, मैंथी का पकौड़ा, ब्रेड पकौड़ा, अबंडी पकाैड़ा, पनीर पकौड़ा, बसर पकौड़ा आदि महिलाओं ने बनाए और परिवार के सदस्यों को चटनी के साथ खिलाए।किशोर  टेक्चन्दी ने बताया कि विश्व सिंधी पकौड़ा दिवस पूर्व से मनाया जा रहा है। यह सिंधी बाहुल्य शहरों में प्रमुखता से मनाया जाता रहा है। इस बार इसे पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है।


एक और विशेष बात है बरसात होते ही हमारी भारतीय संस्कृति में पकोड़े खाने की प्रथा है, यह कोई मज़ाक नहीं परन्तु 100 प्रतिशत वैज्ञानिक और आपके स्वास्थ्य के लिए अति अनुकूल बात हैं  आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतू में जब हवा में नमी की मात्र अधिक होती है उस समय शरीर में वात (वायु) का प्रकोप रहता है जिसे नियंत्रण में लाने के लिए शुद्ध तेल में बनी चीज़ों का सेवन करना चाहिए। क्योंकि तेल (शुद्ध तेल रिफाइंड तेल नहीं) वातनाशक होता है इसलिए हमारे यहाँ वर्षा ऋतू में पकोड़े खाने की प्रथा विकसित हुई है। इसलिए बरसात आते ही पकोड़े अवश्य खाएं और सबको खिलाएं..  


नोट: आयुर्वेद के अनुसार सावन (वर्षा ऋतू) में दही, छाछ, दूध, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन वर्जित बताया गया है क्योंकि ये वात (वायु) वर्धक होते हैं, इसलिए इन्हें सावन में खाया नहीं जाता अपितु महादेव पर अर्पित किया जाता है क्योंकि महादेव हर प्रकार के विष को ग्रहण कर लेते हैं। इसलिए सावन में इन खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।  केवल शुद्ध तेल को ही प्रयोग में लायें रिफाइंड तेल का प्रयोग ना करें क्योंकि तेल को रिफाइंड करने के बाद उसका वातनाशक गुण ख़त्म हो जाता है।  इस ज्ञान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं  अपना देशी खाना अपनाओ और स्वास्थ्य बनाओ।


जनस्नेही कलम से राजीव गुप्ता                                                                                                       

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