सरयू नदी की कटान से एक बीघा भूमि नदी में समाई, मांझा कम्हरिया के किसानों की बढ़ी मुश्किलें

सरयू नदी की कटान से एक बीघा भूमि नदी में समाई, मांझा कम्हरिया के किसानों की बढ़ी मुश्किलें




अंबेडकरनगर। सरयू नदी का जलस्तर घटने के बावजूद आलापुर तहसील के मांझा कम्हरिया क्षेत्र के किसानों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। रविवार को छह किसानों की लगभग एक बीघा जमीन सरयू नदी में समा गई। यह कटान क्षेत्र के किसानों के लिए बड़ा संकट बनता जा रहा है, और ग्रामीणों ने प्रशासन से तुरंत आर्थिक मदद की गुहार लगाई है।


बीते दो दिनों में कटान के कारण चार किसानों की डेढ़ बीघा जमीन पहले ही नदी में समाहित हो चुकी थी। अब रविवार को श्रीराम, श्रीकांत, झगरू, फिरतू, बिरजू और असगत निषाद का एक बीघा खेत सरयू की कटान का शिकार हो गया। कटान को रोकने के लिए किसी ठोस कदम की कमी के चलते मांझा कम्हरिया के किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। निषाद बस्ती, जो नदी के किनारे बसी हुई है, पर भी कटान का संकट मंडराता नजर आ रहा है। 


रविवार शाम छह बजे सरयू नदी का जलस्तर 63.67 मीटर दर्ज किया गया। हालांकि, पिछले तीन दिनों में जलस्तर में काफी गिरावट आई है, लेकिन इसके साथ ही कटान का खतरा भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि कटान की यही रफ्तार जारी रही तो जल्द ही आबादी भी इसकी चपेट में आ सकती है।


प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित की गई, जिसमें आराजी देवारा और मांझा कम्हरिया के 250 लोगों को मदद मिली। हालांकि, कई ग्रामीणों का कहना है कि पहले सभी को राशन किट वितरित की जाती थी, लेकिन इस बार कुछ ही लोगों को इसका लाभ मिल पाया है। गांववासियों ने जिलाधिकारी से दोनों ग्राम पंचायतों में बाढ़ से प्रभावित सभी लोगों को राहत सामग्री उपलब्ध कराने की मांग की है।


कटान की समस्या को लेकर स्थानीय लोगों में प्रशासन की उदासीनता को लेकर नाराजगी बढ़ रही है। यदि समय रहते कटान रोकने के प्रयास नहीं किए गए तो किसानों और ग्रामीणों की स्थिति और भी विकट हो सकती है।

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