सरयू की धारा में समाई किसानों की मेहनत: धान और गन्ने की फसलें बर्बाद, कटान से बढ़ी मुश्किलें

सरयू की धारा में समाई किसानों की मेहनत: धान और गन्ने की फसलें बर्बाद, कटान से बढ़ी मुश्किलें



अंबेडकरनगर। सरयू नदी का जलस्तर घटने के बावजूद मांझा कम्हरिया में सोमवार को कटान की समस्या ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है। इस विनाशकारी कटान में लगभग डेढ़ बीघा धान और गन्ने की फसलें नदी की धारा में बह गईं, जिससे कई किसानों के अरमान पानी में समाहित हो गए।


किसानों की पीड़ा: मेहनत की फसलें धारा में बही


मांझा कम्हरिया के किसान राम लौट, बीरबल, फिरतू, हरिहर, बिरजू और प्रकाश ने बताया कि जहां उनकी हरी-भरी धान की फसल नदी में समा गई, वहीं रामवृक्ष निषाद की गन्ने की फसल भी कटान के कहर का शिकार हो गई। इस हालात ने माझा क्षेत्र के किसानों को बेहद परेशान कर दिया है। वे अपनी मेहनत की फसल को कटान से बचाने के लिए पहले ही हरी फसल काटने पर मजबूर हो गए हैं।


कटान से उपजाऊ भूमि का विनाश


हर साल की तरह इस बार भी मांझा कम्हरिया के किसानों को बाढ़ के बाद अब कटान का कहर झेलना पड़ रहा है। जब नदी का जलस्तर बढ़ता है, तो बाढ़ की समस्याओं से जूझना पड़ता है, और जलस्तर घटते ही कटान से उनकी उपजाऊ जमीन सरयू में समाहित हो जाती है। यह किसानों की दोगुनी मुश्किलें बढ़ा देता है। कटान के कारण अब तक कई बीघा उपजाऊ भूमि सरयू की धारा में विलीन हो चुकी है, जिससे किसानों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।


ग्रामीणों की मांग: बंधों पर बोल्डर लगाने की दरकार


पिछले कुछ सालों से कटान की समस्या को देखते हुए ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से बंधों पर बोल्डर लगवाने की मांग की है, ताकि कटान पर नियंत्रण किया जा सके। इसके बावजूद अभी तक पूरा क्षेत्र सुरक्षित नहीं हो पाया है, और किसान हर साल अपनी फसलों को बर्बाद होते हुए देख रहे हैं। 


प्रशासन का दावा: स्थिति नियंत्रण में


इस मामले पर एसडीएम आलापुर सुभाष सिंह का कहना है कि कटान की स्थिति अभी ज्यादा गंभीर नहीं है और पूरी तरह से नियंत्रण में है। हालांकि, स्थानीय किसानों की हताशा और पीड़ा को देखते हुए प्रशासन के दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर समय रहते कटान पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो उनका जीवन और जमीन दोनों खतरे में पड़ जाएंगे। 


सरयू के कहर से निपटने के लिए प्रशासनिक कदम उठाना जरूरी हो गया है, ताकि किसानों की मेहनत और भविष्य सुरक्षित रह सके।

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