अंबेडकरनगर। बसखारी क्षेत्र के टड़वा दरब ग्राम पंचायत के धनजौल गाँव के बुजुर्ग रामसहाय के लिए वृद्धावस्था पेंशन ही जीवनयापन का एकमात्र सहारा था। हर तीन महीने पर उन्हें पेंशन का बेसब्री से इंतजार रहता था। इस बार जब वह पेंशन लेने बैंक पहुंचे, तो उन्हें वहां एक ऐसा झटका लगा जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। बैंक कर्मियों ने बताया कि अन्य सभी लोगों की पेंशन आ गई है, लेकिन उनकी पेंशन नहीं आई। यह सुनकर रामसहाय समाज कल्याण विभाग के कार्यालय विकास भवन पहुंचे, जहाँ उन्हें बताया गया कि उन्हें विभाग द्वारा "मृत" घोषित कर दिया गया है।
बुजुर्ग रामसहाय के लिए यह खबर किसी आघात से कम नहीं थी। वह अपने ही सामने खुद को मृतक घोषित करने की बात सुनकर हतप्रभ रह गए। बार-बार समाज कल्याण अधिकारी की चौखट खटखटाने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला। निराश रामसहाय अंततः जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के पास पहुंचे और उनसे गुहार लगाई, "साहब, मैं जिंदा हूं। समाज कल्याण विभाग ने मुझे मृत घोषित करके मेरी पेंशन बंद कर दी है।" डीएम यह सुनकर चौंक गए और तुरंत ही इस मामले की जांच के आदेश दिए। जांच में यह पता चला कि यह गलती ग्राम पंचायत के सचिव **अंकुर वर्मा** द्वारा की गई थी। डीएम के निर्देश पर सचिव को निलंबित कर दिया गया है।
समाज कल्याण विभाग प्रत्येक वर्ष वृद्धावस्था पेंशन पाने वाले बुजुर्गों का जीवित होने का सत्यापन कराता है। इस वर्ष भी सभी पेंशनरों का सत्यापन कराया गया था। हालांकि, ग्राम सचिव अंकुर वर्मा ने मौके पर सत्यापन करने की बजाय बुजुर्ग रामसहाय को मनगढ़ंत आख्या में मृत घोषित कर दिया और इसी के आधार पर उनकी पेंशन बंद कर दी गई।
जांच के लिए समाज कल्याण अधिकारी विक्रम कौशल ने मौके पर पहुंचकर सत्यापन किया, जिससे यह पुष्टि हुई कि रामसहाय जीवित हैं। इसके बाद विभाग ने रामसहाय को फिर से लाभार्थी सूची में जोड़ने के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी। शासन से स्वीकृति मिलते ही रामसहाय की पेंशन पुनः शुरू हो जाएगी।
डीपीआरओ अवनीश श्रीवास्तव ने बताया कि ग्राम सचिव अंकुर वर्मा ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है। उन्हें निलंबित कर दिया गया है और एडीओ पंचायत प्रभात सिंह को मामले की जांच सौंपी गई है। निलंबन अवधि में सचिव को डीपीआरओ कार्यालय में संबद्ध किया गया है। वर्तमान में उक्त ग्राम सचिव कटेहरी ब्लॉक में तैनात हैं।
इस घटना से एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि जमीनी स्तर पर सत्यापन प्रक्रियाओं में किस प्रकार की लापरवाहियां बरती जा रही हैं, जिससे न केवल पेंशन धारकों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है, बल्कि सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लग जाता है।